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कल चौदहवीं की रात थी - Kal Chaudhvin Ki Raat Thi (Jagjit Singh, Khamoshi, A Memorable Concert)

Movie/Album: अ मेमोरेबल कॉन्सर्ट (1994)
Music By: जगजीत सिंह
Lyrics By: इब्न-ए-इन्शा
Performed By: जगजीत सिंह

कल चौदहवीं की रात थी
शब भर रहा चर्चा तेरा
कल चौदहवीं की रात थी
कुछ ने कहा ये चाँद है
कुछ ने कहा, चेहरा तेरा
कल चौदहवीं की रात थी

हम भी वहीं, मौजूद थे
हम से भी सब पुछा किए
हम हँस दिए, हम चुप रहे
मंज़ूर था परदा तेरा
कल चौदहवीं की रात थी...

इस शहर में किस से मिलें
हम से तो छूटी महफिलें
हर शख्स तेरा नाम ले
हर शख्स दीवाना तेरा
कल चौदहवीं की रात थी...

कूचे को तेरे छोड़ कर
जोगी ही बन जाएँ मगर
जंगल तेरे, पर्वत तेरे
बस्ती तेरी, सेहरा तेरा
कल चौदहवीं की रात थी...

बेदर्द सुन्नी हो तो चल
कहता है क्या अच्छी ग़ज़ल
आशिक तेरा, रुसवा तेरा
शायर तेरा, इंशा तेरा
कल चौदहवीं की रात थी...

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