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ये दौलत भी ले लो - Ye Daulat Bhi Le Lo (Jagjit Singh, Ghazal)

Movie/Album: आज (1985)
Music By: जगजीत सिंह
Lyrics By: सुदर्शन फाकिर
Performed By: जगजीत सिंह

ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो
भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन
वो कागज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी

मुहल्ले की सबसे पुरानी निशानी
वो बुढ़िया जिसे बच्चे कहते थे नानी
वो नानी की बातों में परियों का डेरा
वो चेहरे की झुर्रियों में सदियों का पहरा
भुलाए नहीं भूल सकता है कोई
वो छोटी सी रातें, वो लंबी कहानी

कड़ी धूप में अपने घर से निकलना
वो चिड़िया, वो बुलबुल, वो तितली पकड़ना
वो गुड़िया की शादी पे लड़ना-झगड़ना
वो झूलों से गिरना, वो गिर के संभलना
वो पीतल के छल्लों के प्यारे से तोहफ़े
वो टूटी हुईं चूड़ियों की निशानी

कभी रेत के ऊँचे टीलों पे जाना
घरौंदे बनाना, बना के मिटाना
वो मासूम चाहत की तस्वीर अपनी
वो ख्वाबों-खिलौनों की ज़ागीर अपनी
ना दुनिया का ग़म था, ना रिश्तों के बन्धन
बड़ी खूबसूरत थी वो ज़िन्दगानी

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