Lyrics By: अख्तर शीरानी
Performed By: गुलाम अली
वो कभी मिल जाएँ तो क्या कीजिए रात दिन सूरत को देखा कीजिए चाँदनी रातों में इक-इक फूल को बे-ख़ुदी कहती है सजदा कीजिए वो कभी मिल जाएँ... जो तमन्ना बर न आए उम्र भर उम्र भर उस की तमन्ना कीजिए वो कभी मिल जाएँ... इश्क़ की रंगीनियों में डूब कर चाँदनी रातों में रोया कीजिए वो कभी मिल जाएँ... पूछ बैठे हैं हमारा हाल वो बे-ख़ुदी तू ही बता क्या कीजिए वो कभी मिल जाएँ... हम ही उस के इश्क़ के क़ाबिल न थे क्यूँ किसी ज़ालिम का शिकवा कीजिए वो कभी मिल जाएँ... आगे (गाने में नहीं है): आप ही ने दर्द-ए-दिल बख़्शा हमें आप ही इस का मुदावा कीजिए वो कभी मिल जाएँ... कहते हैं 'अख़्तर' वो सुन कर मेरे शेर इस तरह हमको न रुसवा कीजिए वो कभी मिल जाएँ...