Movie/Album: लाइफ इन अ मेट्रो (2007)
Music By: प्रीतम चक्रबर्ती
Lyrics By: सईद कादरी
Performed By: के.के.
दिल खुदगर्ज़ है फ़िसला है ये, फ़िर हाथ से कल उसका रहा, अब है तेरा इस रात से ओ मेरी जाँ तू आ गया यूँ नज़र में जैसे सुबह दोपहर में मदहोशी यूँ ही नहीं दिल पे छाई नियत ने ली अँगड़ाई छुआ तूने, कुछ इस तरह बदली फ़िज़ा, बदला समां ओ मेरी जाँ... नाता समझे ना हाँ ये दिल मेरा जानूँ ना, जानूँ ना इसको क्या हुआ मेरी बाहों की फिर से ढूँढे ये पनाह तू है कहाँ, तू है कहाँ ओ मेरी जाँ...