Movie/Album: ग़ैर-फ़िल्मी ग़ज़ल, मिर्ज़ा ग़ालिब (1954)
Music By: अज्ञात, ग़ुलाम मोहम्मद, खय्याम
Lyrics By: मिर्ज़ा ग़ालिब
Performed By: कुन्दनलाल सहगल, सुरैया, मोहम्मद रफ़ी
कुन्दनलाल सहगल नुक़्ता-चीं है ग़म-ए-दिल, उसको सुनाये न बने क्या बने बात जहाँ, बात बनाये न बने क्या बने बात... मैं बुलाता तो हूँ उसको, मगर ऐ जज़्बा-ए-दिल उस पे बन जाये कुछ ऐसी कि बिन आये न बने नुक़्ता-चीं है... बोझ वो सर से गिरा, है कि उठाये न उठे काम वो आन पड़ा है कि बनाये न बने नुक़्ता-चीं है... इश्क़ पर ज़ोर नहीं, है ये वो आतिश 'ग़ालिब' कि लगाये न लगे और बुझाये न बने नुक़्ता-चीं है... सुरैया नुक्ता-चीं है ग़म-ए-दिल, उसको सुनाये न बने क्या बने बात जहाँ, बात बनाये न बने नुक्ता-चीं है... ग़ैर फिरता है लिये यूँ तेरे ख़त को के अगर कोई पूछे के ये क्या है तो छुपाये न बने नुक्ता-चीं है... मैं बुलाता तो हूँ उसको मगर ऐ जज़्बा-ए-दिल उसपे बन जाये कुछ ऐसी कि बिन आये न बने नुक्ता-चीं है... इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश ग़ालिब कि लगाये न लगे और बुझाये न बने नुक्ता-चीं है... मोहम्मद रफ़ी नुक़्ता-चीं है ग़म-ए-दिल उसको सुनाये न बने क्या बने बात जहाँ बात बनाये न बने खेल समझा है, कहीं छोड़ न दे, भूल न जाए काश, यूँ भी हो के बिन मेरे सताये न बने बोझ वो सर से गिरा है कि उठाये न उठे काम वो आन पड़ा है कि बनाये न बने इश्क़ पर ज़ोर नहीं, है ये वो आतिश 'ग़ालिब' कि लगाये न लगे और बुझाये न बने नुक़्ता-चीं है...