Movie/Album: सिलसिले (1998)
Music By: जगजीत सिंह
Lyrics By: जावेद अख्तर
Performed By: जगजीत सिंह
कभी यूँ भी तो हो दरिया का साहिल हो पूरे चाँद की रात हो और तुम आओ कभी यूँ भी तो हो... कभी यूँ भी तो हो परियों की महफ़िल हो कोई तुम्हारी बात हो और तुम आओ कभी यूँ भी तो हो... कभी यूँ भी तो हो ये नर्म, मुलायम, ठंडी हवाएँ जब घर से तुम्हारे गुज़रें तुम्हारी खुशबू चुराएँ मेरे घर ले आयें कभी यूँ भी तो हो... कभी यूँ भी तो हो सूनी हर महफ़िल हो कोई न मेरे साथ हो और तुम आओ कभी यूँ भी तो हो... कभी यूँ भी तो हो ये बादल ऐसा टूट के बरसे मेरे दिल की तरह मिलने को तुम्हारा दिल भी तरसे तुम निकलो घर से कभी यूँ भी तो हो... कभी यूँ भी तो हो तन्हाई हो, दिल हो बूँदें हों, बरसात हो और तुम आओ कभी यूँ भी तो हो... कभी यूँ भी तो हो दरिया का साहिल हो पूरे चाँद की रात हो और तुम आओ कभी यूँ भी तो हो...