Movie/Album: मेराज-ए-गज़ल (1983)
Music By: गुलाम अली
Lyrics By: नासिर काज़मी
Performed By: गुलाम अली, आशा भोंसले
दयार-ए-दिल की रात में चराग़ सा जला गया मिला नहीं तो क्या हुआ, वो शक़्ल तो दिखा गया वो दोस्ती तो ख़ैर अब नसीब-ए-दुश्मनाँ हुई वो छोटी छोटी रंजिशों का लुत्फ़ भी चला गया दयार-ए-दिल की... जुदाइयों के ज़ख़्म, दर्द-ए-ज़िन्दगी ने भर दिये तुझे भी नींद आ गई मुझे भी सब्र आ गया दयार-ए-दिल की... ये सुबहो की सफ़ेदियाँ ये दोपहर की ज़र्दियाँ अब आईने में देखता हूँ मैं कहाँ चला गया दयार-ए-दिल की... ये किस ख़ुशी की रेत पर ग़मों को नींद आ गई वो लहर किस तरफ़ गई ये मैं कहाँ चला गया दयार-ए-दिल की... पुकारती हैं फ़ुर्सतें कहाँ गईं वो सोहबतें ज़मीं निगल गई उन्हें या आसमान खा गया दयार-ए-दिल की... गए दिनों की लाश पर पड़े रहोगे कब तलक अलम्कशो उठो कि आफ़ताब सर पे आ गया दयार-ए-दिल की...